14 Apr आप सभी को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!
गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’
भीमराव अंबेडकर बाबा,
शत-शत तुम्हें प्रणाम,
भारत की पावन गाथा,
में अमर तुम्हारा नाम।
माता श्रीमती भीमाबाई,
पिता राम मालो सकपाल,
चौदह अप्रैल को आया था,
उनके घर धरती का लाल
महू छावनी में जन्म स्थल,
अम्बाबाड़े ग्राम।
अंग्रेजों की दासता से,
भारत को मुक्ति दिलाई,
छुआछूत प्रति मुखरित वाणी,
जागरूकता लाई।
जाति-पांति से किया बराबर,
जीवनभर संग्राम।
तुम इतिहास पुरुष,
भारत के संविधान निर्माता,
गणतांत्रिक व्यवस्था पोषित,
जन-जन भाग्य विधाता।
सभी बराबर हैं समाज में,
भारत देश की धरती पर, ऐसा भी दौर आया था
सर पर किसी दलित के, छत का ना साया था ।
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हुआ ज़ुल्म डगर-डगर पर संग उसके, मग़र
अपनी ग़रीबी के आगे, वो बेबस नजर आया था ।
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अमीरों का दिया हर अत्याचार सहा था उसने,
फिर भी दो वक़्त की रोटी भी कमा ना पाया था ।
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फ़िर हुआ एक रोज चमत्कार इस धरती पर,
बनकर मसीहा, ख़ुदा धरती पर उतर आया था ।
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अब बहुत हुआ, बेवजह हम पर यू ज़ुल्म करना
ये कहते-कहते डॉ.भीमराव अंबेडकर आया था ।
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हरपल घुट-घुटकर जी रहे दलितों के जीवन से,
जातिवाद, भेदभाव, छुआछूत मिटाने आया था ।
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ख़ुद के बचपन को, संग अत्याचारों के जी लिया
अब औरों के बचपन को, जन्नत बनाने आया था ।
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दम पर अपने, बनाकर सविंधान भारत देश का
हर भारतवासी का जीवन, सफ़ल उसने बनाया था ।
बनकर मसीहा, ख़ुदा धरती पर उतर आया था ।
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